इस आर्टिकल में हम एक सबसे सामान्य बीमारी जिसे कब्ज कहते है उसको डिसकस करेंगे. इसमें हम हिंदी में कॉन्स्टिपेशन या कब्ज कहते है (constipation meaning in hindi) के बारे में हर वो जानकारी देंगे जो आपके लिए जरूरी है. कॉन्स्टिपेशन बहुत से कारणों से होने की संभावना होती है.
उनमे से एक सामान्य कारण है आधुनिक जीवनशैली.
कॉन्स्टिपेशन क्या है ? What is constipation in Hindi
कॉन्स्टिपेशन को सामान्य भाषा में कब्ज कहा जाता है. इसमें शरीर से मल गुदा द्वार से सरलता से नहीं निकलता।
व्यक्ति को मल विसर्जन के लिए सामान्य से अधिक या बहुत ज्यादा जोर लगाना पड़ता है. कभी कभी स्थिति इतनी विकत होती है की व्यक्ति को डॉक्टरी सलाह के बैगैर राहत नहीं मिलती।
कब्ज के प्रकार या सोपान
Different levels of constipation based on their severity in Hindi.
सामयिक कब्ज का अर्थ क्या है ? (Occasional constipation meaning explained in Hindi.)
जैसा की नाम से साफ़ समझ आता है , ओकेजनल कॉन्स्टिपेशन का मतलब कभी कभी होने वाला कब्ज है.
इसमें व्यक्ति को हमेशा या लम्बे समय तक कब्ज नहीं होता। कभी किसी कारण से मॉल त्यागने में जोर लगाना पड़े तो इसे ओकेजनल या सामयिक कॉन्स्टिपेशन कहा जाता है.
आजकल की जीवन शैली में सामायिक कब्ज आने वाली समस्याओ की एक झलक या सिम्प्टम ही है. अगर वक़्त रहते इसके करने का पता लगा कर निदान कर दिया गया तो जीवन में कभी क्रोनिक कब्ज (chronic constipation) नहीं होगी।
क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन का क्या मतलब होता है ? (Chronic constipation meaning in Hindi )
जब व्यक्ति को काफी लम्बे समय से कॉन्स्टिपेशन या कब्ज की शिकायत रहती है तो उसको क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन कहते है. क्रोनिक (chronic) का मतलब होता है काफी लम्बा समय से.
इस तरह क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन का हिंदी अनुवाद (constipation translation in Hindi) होगा लम्बे समय से हुआ कब्ज।
गर्भावस्था में कॉन्स्टिपेशन क्यों हो जाता है ?Constipation during pregnancy in Hindi
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन्स और खान पान में बदलाव की वजह से कब्ज हो जाती है. परन्तु ये गर्भावस्था के बाद ख़तम हो जाती है.
ये सही मायने में सामान्य से अलग प्रकार का कॉन्स्टिपेशन माना जाता है . ये बीमारी न हो कर एक शारीरिक अवस्था का परिणाम मात्रा होत है. ये अवस्था टेम्पेरोरी होने के कारण कब्ज की स्थिति भी क्षणिक होती है.
ईडीओपथिक कब्ज का विवरण | Chronic idiopathic constipation meaning in hindi
जब कब्ज बिना कारण हो जाये और बहुत जांच करने के बाद भी कारण ना पता चले तो उसको ईडीओपथिक कॉन्स्टिपेशन या कब्ज कहते है. ये अक्सर क्रोनिक या लम्बे समय से चलने वाले कॉन्स्टिपेशन में होता है. [१]
कब्ज के लक्षण | Symptoms of constipation
वैसे तो बहुत सी अवस्थाओं और बीमारियों में कब्ज से मिलते जुलते लक्षण हो सकते है. मुख्यतः कब्ज खुद एक बीमारी न हो कर अन्य बीमारियों या अव्यवस्थाओ का लक्षण होता है.
फिर भी अगर आपको समझना है की आपको कब्ज है या नहीं तो इनमे से कोई भी एक या अनेक लक्षण पर ध्यान दीजिये।
ये भी समझना जरूरी है की अलग अलग व्यक्तियों को कब्ज के अलग अलग लक्षण नज़र आते है.
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- मल त्यागने में कठिनाई या दर्द।
- मॉल कठोर होना (इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम में जरूरी नहीं की मल कठोर हो)
- हफ्ते में तीन से कम बार शौच आना सबसे बड़ा इंडिकेटर है जहा आपको चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
- कभी कभी पेट में दर्द, गैस भर का पेट फूलना, और मरोड़ उठना।
- उलटी जैसा होना और हमेशा पेट भरा और फुला हुआ लग्न।
- शौच के बाद भी पेट खाली न होने जैसा फील होना।
- भूख न लगना या भूख में कमी.
- चिड़चिड़ापन और काम में मन न लगना
- गैस पास नहीं होती. ऐसा लगता है जैसे गैस फसी हो पर निकल नहीं पा रही.
- कभी कभी लोगो को पसलियों के नीचे और पीठ में दर्द होने की शिकायत भी होती है.
कब्ज होने के कारण | Causes of constipation in Hindi.
कब्ज बहुत से करने से हो सकता है. हम यहाँ पर हर वो कारण बता रहे है जिसकी कारण कब्ज होना आम है.
जीवन पद्धति खान पान से जन्मे कारण
- फाइबर की कमी :पेट की अंतड़ियो को साफ़ रख कर मॉल की गति को सुचारु बनाये रखने में मदत करता है. अगर आप ऐसा भोजन करते है जहा फाइबर कम है तो आपको कब्ज होने की संभावना बनती है.
- वसा युक्त भोजन :अगर आप कभी सामान्य से अधिक दूध से बने उत्पाद या वसा युक्त भोजन कर लेते है तो कब्ज हो जाता है. उदहारण के लिए चीज़ पचने में ज्यादा समय लेती है. उसको खाने से कब्ज जैसी स्थिति उत्पन्न होती है.
- कम पानी पीना:बहुत से कारण हो सकते है की आप पानी कम पी रहे हो. शरीर में कम पानी पहुंचने के कारण शरीर पानी को ज्यादा रेटाइन करता है. और अंतड़ियो में पानी की मात्रा कम होती है. इसलिए भी मल कठोर हो कर कब्ज के रूप में तकलीफ देता है.
- जीवन में बदलाव :जीवन में बहुत से स्थिति ऐसी होती है जो बदलने पर व्यक्ति तौर पर कब्ज की समस्या हो सकती है. उदहारण के लिए स्थान परिवर्तन।
अगर आप किसी दूसरे शहर या गांव में गए है तो अनजाने में ही आप कब्ज से परेशान हो जाये। वैसे ही खान पान में बदलाव से भी ये स्थिति हो सकती है.
त्योहारों के वक़्त अक्सर ये समस्या बहुत ज्यादा पाई जाती है. खुशियों में ज्यादा खा लेना, और देर रात तक जागना त्योहारों में आम है. - कम नींद होना :ये भी जीवन शैली से जुडी समस्या है. किसी भी कारण से आप पूरी नींद नहीं लेते तो कब्ज की समस्या हो सकती है.
- शारीरिक मेहनत का अभाव:आधुनिक जीवन में काम अधिकतर कंप्यूटर पर होते है. मिडिल क्लास में ये समस्या ज्यादा है. ऐसी स्थिति में शरीर की हलचल या मेहनत नहीं हो पाती। इसलिए भी कब्ज की तकलीफ हो जाती है.
- अव्यवस्थित जीवनचर्या:कई लोगो को नौकरी की वजह से कभी भी पूरे दिन का रूटीन नहीं बन पाता। न खाने का कोई निश्चित समय होता है और न सोने का. ऐसे में कब्ज होना काफी आम बात है.
- स्ट्रेस:तनाव या स्ट्रेस आधुनिक युग में कब्ज का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है. तनाव हमारी मांसपेशियों पर तो असर करता है साथ ही हमारी अंतड़ियो को भी सुस्त करता है.
- शौच रोकना :अगर आप देर तक शौच रोक कर रखते है तो भी कब्जियत हो सकती है. शौच जब तक गुदा द्वार के पास रहती है उसमे से शरीर पानी सोख्ता रहता है. इसलिए ज्यादा देर शौच रोकने पर शौच या मल कड़क हो जाता है.
ओट्स कॉन्स्टिपेशन में बहुत कारगर है. अपनी हाई फाइबर कंटेंट की वजह से ये कॉन्स्टिपेशन से आपको बचाता है.
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