दमा / अस्थमा के लक्षण – Symptoms of Asthma

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  • Post last modified:October 19, 2022

अस्थमा के लक्षण समझने से पहले ये जानना बहुत जरूरी है की आखिर अस्थमा होता क्या है, अस्थमा क्यों होता है और इसका इलाज या निदान क्या है.

अगर आपके पास ये जानकारिया है तो आप अस्थमा के लक्षण आसानी से समझ सकेंगे.

अस्थमा क्या है ?

अस्थमा  के लक्षण को समझने के लिए यह समझना आवश्यक है कि अस्थमा क्या है और क्या होता है जब आप सांस लेते हैं।

हमारे द्वारा ली जाने वाली प्रत्येक सांस के साथ हवा नाक या मुंह से होकर आपके गले में वायुमार्ग से होती हुई अतः आपके फेफड़ों में जाती है ।

फेफड़ों में बहुत सारे छोटे वायु मार्ग (ब्रोन्कियल नलियां ) हैं जो हवा से ऑक्सीजन को आपके रक्तप्रवाह में पहुंचाते हैं। कभी किसी कारण से इन वायुमार्ग (ब्रोन्कियल नलियों) की परत सूज जाती है और उनके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं। 

ऐसा होने पर म्यूकस (बलगम ) वायुमार्ग ((ब्रोन्कियल नलियों) को भरता है, जिससे आगे गुजरने वाली हवा की मात्रा कम हो सकती है। इस स्थति में खांसी और सीने में जकड़न महसूस होती है और एहि वह स्थिति है जिसे अस्थमा या दमा का अटैक कहा जाता है  

ऐसी स्थिति में सांस लेना मुश्किल हो जाता है और कुछ शारीरिक गतिविधियों को कर पाना चुनौतीपूर्ण या असंभव भी बना सकता है।

अस्थमा किसी भी उम्र के लोगो को हो सकता है और कभी तो इसके लक्षण बचपन से नज़रआने शुरू हो जाते परन्तु यह किशोरवस्था में भी हो सकता है।  

इससे किसी भी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं और समान्यतः ये बचपन में ही शुरू हो जाता है, हालांकि इसके लक्षण किशोरों में भी नज़र आ सकते हैं।

अभी तक अस्थमा का कोई पक्का इलाज नहीं है परन्तु शुरआत से लक्षण नज़र आने पर उनपर नियंत्रण रखने से काफी हद्द तक इसका प्रभाव काम किया जा सकता है।  

दमा के लक्षण और इनकी तीव्रता हर उम्र के इंसान में अलग अलग हो सकती है। कई बार देखा गया है की यह लक्षण आते जाते भी रहते हैं। अस्थमा या दमा के लक्षण समय के साथ बदलते भी रहते हैं इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है की शुरुआत से ही इसके संकेतों और लक्षणों पर नज़र रखें और अपने डॉक्टर के साथ बात करके इसके अनुकूल उपचार को जानें।

अगर यह लक्षण लगातार बने रहते हैं तो जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डाल सकते और बुरे हालतों में दमा का दौरा भी पद सकता है।  

अस्थमा के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। आपको बार-बार अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं या फिर निश्चित समय पर ही लक्षण दिखाई देते हैं – जैसे कि व्यायाम करते समय या कई बार लक्षण हर समय होते हैं।

अस्थमा के शुरुआती लक्षण :

अस्थमा या दमा के प्रारंभिक संकेत वे परिवर्तन हैं जो अस्थमा के दौरे की शुरुआत में या उससे पहले होते हैं। ये संकेत अस्थमा के जाने-माने लक्षणों से पहले शुरू हो सकते हैं। यह संकेत यह बताते हैं की आपका अस्थमा बिगड़ सकता है। 

सामान्य तौर पर, ये संकेत इतने गंभीर नहीं होते जो आपको आपकी दैनिक गतिविधियां करने से रोकें। अगर आप शूरति दौर में ही इन संकेतों को पहचान कर अस्थमा के दौरे को रोक सकते हैं और इसे ख़राब होने से बचा सकते हैं।  

 अस्थमा के शुरुआती चेतावनी संकेतों में यह हो सकते हैं :

  • अक्सर खांसी आना , विशेष रूप से रात के समय 
  • सांस लेने में तकलीफ और आसानी से सांस खोना 
  • व्यायाम करते समय बहुत थकावट या कमजोरी महसूस करना
  • व्यायाम के बाद घरघराहट वाली खांसी होना 
  • थकान महसूस करना, आसानी से परेशान होना
  • फेफड़ों के कार्य में कमी या परिवर्तन (peak flow meter के नापा हुआ )
  • नींद न आना
  • सर्दी या एलर्जी के लक्षण (छींकना, बहती नाक, खांसी, नाक बंद रहना , गले में खराश और सिरदर्द)

अगर आपको कुछ ऐसे निचे दिए गए संकेत दिखें तो यह समझ लेना चाहिए की आपने दमा या अस्थमा सभवतः बिगड़ रहा है  

  • अगर अस्थमा के लक्षण लगातार और अधिक बार होने लगें 
  • सांस लेने में कठिनाई बढ़ रही हो 
  • तुरंत राहत के लिए इनहेलर के उपयोग की आवश्यकता महसूस हो  

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अस्थमा अटैक के लक्षण :

अस्थमा [1 का दौरा एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियां एक दम कसने के लिए ट्रिगर हो जाती हैं। इस तरह के मांसपेशियों के कसाव को ब्रोन्कोस्पासम कहा जाता है। इस समय वायुमार्ग (ब्रोन्कियल नलियों) की परत सूज जाती है वहां की कोशिकाएं सामान्य से अधिक और गाढ़ा बलगम पैदा करने लगती हैं। 

ब्रोन्कोस्पास्म, सूजन, और बलगम का अधिक बनने के कारण सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट, खांसी, सांस की तकलीफ और सामान्य दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई जैसे लक्षण पैदा होने लगते हैं। 

कई बार जुखाम जैसे लक्षण भी दीखते है. पर अगर आप ध्यान दे तो आप फर्क समझ सकते है.

अस्थमा के दौरे के अन्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं :

  • जब खांसी का काफी समय तक होना 
  • सांस अंदर या बहार छोडते वक़्त घरघराहट होना 
  • बहुत तेज़ सांस लेना 
  • सीने में दर्द या कसाव महसूस करना 
  • गर्दन और छाती की मांसपेशियों का कसना 
  • घबराहट महसूस करना 
  • चेहरे पीला पड़नाऔर ज्यादा पसीना आना 
  • होंठ और नाखून नीले पड़ना     

अस्थमा के लक्षणों को पहचानने के तुरंत बाद इनका इलाज करना जरूरी है अन्यथा अस्थमा के दौरे की गंभीरता बहुत तेजी से बढ़ सकती है

ऐसे समय में आपको अस्थमा इनहेलर या ब्रोन्कोडायलेटर जैसे तत्काल आराम देने वाले उपचार की आवश्यकता पद सकती है। ऐसा न करने से आपका सांस लेना और भी मुश्किल होने लगेगा। ऐसे अटैक के समय अगर पीक फ्लो मीटर से जांच करते हैं तो मीटर आपको रीडिंग ५०% से भी कम बायतेगा। ज्यादातर अस्थमा के इलाज तभी शुरू कर लेने चाहिए जब आके फेफड़ोंकी क्षमता १०-२० % तक कम होती दिख जाये।  

बच्चों में अस्थमा के लक्षण :

 

अस्थमा व दमा १० से १२ % बच्चों को प्रभावित करता है और यह बच्चों में बीमारी का एक पुराना और प्रमुख कारण भी है। ऐसा देखा जा रहा है की बच्चों में यह बीमारी लगातार बढ़तीजा रही है। छोटे बच्चों में अस्थमा के पहले लक्षण ५ साल तक की उम्र में दिखाई दे जाते हैं।  

यह बात ध्यान देने योग्य है की सभी बच्चो में घरघऱाहट वाली खांसी नहीं होती है। अस्थमा के साथ पुरानी खांसी एक संकेत हो सकता है परन्तु कई बार खांसी का कारण ब्रोंकाइटिस को समझ लिया जाता है जिस से बच्चों में अस्थमा को पहचाने में गलती हो सकती है। 

अस्थमा के असामन्य लक्षण :

ऐसा भी देखा गया है की सभी लोगों में अस्थमा या दमा के ऊपर बताये गए सामन्य लक्षण जैसे की खांसी, या सांस लेने में तकलीफ आदि नहीं होते। कई लोगो में कुछ लक्षण ऐसे और असामान्य भी होते हैं जो अस्थमा से बिलकुल सम्ब्नधित नहीं दिखते। 

यह असामन्य लक्षण इन प्रकार के हो सकते हैं :

  • सोने में कठिनाई होना 
  • थकान 
  • तेज़ सांस लेना 
  • लम्बी सांस लेना 
  • व्यायाम न कर पाना  
  • घरघराहट के बिना खांसी होना 

निष्कर्ष :

सबसे ध्यान रखने योग्य बात है की अस्थमा या दमा के लक्षण हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं। कई बार अस्थमा के लक्षण ब्रोंकाइटिस या हार्ट फेलियर जैसे भी पाए गए हैं। इसलिए यह जरुरी है की हमें अपने शरीर को समझना महत्वपूर्ण है। 

ऊपर बताये गए किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें और पता लगाएं की आपको अस्थमा या दमा है। अस्थमा के लक्षणों को पता लगते ही रोक लेना ही अस्थमा से बचाव है। 

 

Image by Anastasia Gepp from Pixabay

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